खास बातें 1. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की 40 दिन की सुनवाई 2. आखिरी दिन सभी पक्षों को बहस का मौका मिला 3. नवंबर में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने की संभावना नई दिल्ली: अयोध्या मामले (Ayodhya Case) में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ आखिरी सुनवाई बुधवार को शाम चार बजे पूरी कर ली. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने अयोध्या के राम जन्मभूमि–बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले की सुनवाई पूरी करने के पश्चात अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. सुप्रीम कोर्ट नवंबर में इस पर फैसला सुनाएगा. आज कोर्ट की कार्यवाही शुरू होने के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अन्य कुछ याचिकाओं पर सुनवाई से इनकार कर दिया और सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि अब बहुत हो चुका, हम शाम को पांच बजे उठ जाएंगे. इसके बाद 40वें दिन कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई. पहले हिंदू पक्ष की ओर से अपनी दलीलें रखी गईं और उसके बाद मुस्लिम पक्ष ने दलीलें रखीं. सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने हिन्दू महासभा के वकील विकास सिंह की ओर से पेश किए गए नक्शे को फाड़ दिया. इसके बाद सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि अगर कोर्ट का डेकोरम नहीं बनाया रखा गया तो हम कोर्ट से चले जाएंगे. Supreme Court Ayodhya Case Hearing Live Updates: – सूत्रों के मुताबिक मध्यस्थता पैनल ने भी अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी है. इसमें एक बड़ी ख़बर सामने आ रही है कि सुन्नी वक्फ़ बोर्ड (Sunni Waqf Board) सरकार को जमीन देने को तैयार हो गया है. –सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने अयोध्या के राम जन्मभूमि–बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले की सुनवाई पूरी की. कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. -17X21 का चबूतरा था. सब बाहरी अहाते का हिस्सा था. जस्टिस चंद्रचूड़ ने नक्शा दिखाते हुए पूछा– लेकिन ये चबूतरा तो अंदर है. हिंदुओ को वहां तक एक्सेस भी था. धवन ने कहा कि ये गलत धारणा है. आपने शायद नक्शा गलत पकड़ा हुआ है. अब देखें मस्जिद के दोनों ओर कब्रिस्तान है और हमारी मस्जिद यहां से शुरू होती है. चबूतरा बाहरी अहाते में ही है. – जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आप जो मैप दिखा रहे हैं उसमें चबूतरा इनर कोर्ट यार्ड में था? राजीव धवन ने कहा कि चबूतरा भी मस्जिद का हिस्सा है. मस्जिद की दीवार कब्रगाह के पास से शुरू होती है. –धवन ने कहा वो मस्जिद थी, हमारी थी. अब हमारे पास ही उसके पुनर्निर्माण का अधिकार है. इमारत भले ढहा दी गई हो लेकिन जमीन का मालिकाना हक हमारा है. अब हम 1994 तक पीछे नहीं जा सकते. रिसीवर व्यवस्था सही नहीं थी. – राजीव धवन ने कहा कि वो मोल्डिंग ऑफ रिलीफ़ के तहत बाबरी मस्जिद को फिर से बनाने की मांग कर रहे हैं. मस्जिद को दुबारा बनाने के अधिकार हैं भले अभी वहां मस्जिद नहीं है लेकिन अभी भी ये जमीन वक्फ की है. हम बाबरी विध्वंस के पहले की स्थिति चाहते हैं. –राजीव धवन ने कहा कि सेवायत को हिन्दू धर्म में सिर्फ पूजा का अधिकार है. इस्लाम की तरह उसे मुतवल्ली जैसे अधिकार नहीं मिल सकते. धवन बस बहस खत्म करने वाले हैं. –राजीव धवन ने परासरन की बाहर से आए बाबर की ऐतिहासिक गलती को सुधारने की दलील पर कहा कि हम हिंदू और मुस्लिम शासकों में कैसे अंतर कर सकते हैं. सन 1206 में सल्तनत शुरू हुई, 1206 के बाद से मुसलमान मौजूद थे. इस्लाम ने उन लोगों के लिए आकर्षण पैदा किया जो छुआछूत से परेशान थे. बाबर ने लोधी के साथ युद्ध किया जो एक मुस्लिम था. भारत सिर्फ एक नहीं था यह बहुतों का मिश्रण था. –धवन ने कहा कि मेरी याचिका सिर्फ टाइटल के लिए नहीं है, कई अन्य पहलू हैं. ये घोषणा एक सार्वजनिक वक्फ के लिए है. यह एक सार्वजनिक मस्जिद थी. इसमें मस्जिद, जमीन और कई चीजें शामिल हैं. यदि हिंदू 1855 से पहले टाइटल साबित करने में सक्षम हैं तो मैं इसके जवाब में दो शताब्दियों से अधिक पहले से ही जगह का मालिक हूं. –राजीव धवन ने कहा कि आक्रमणकारियों की बात हो तो सिर्फ नादिर शाह, तैमूर चंगेज़ और अंग्रेज ही नहीं बल्कि आर्यों तक जाना होगा. लेकिन ये लोग सिर्फ एक खास तरह के लोगों को ही आक्रमणकारी मानते हैं. आर्यों को आक्रमणकारी मानने से उनको परहेज़ है. जब मीर कासिम आया तो भारत एक देश नहीं बल्कि टुकड़ों में था. शिवाजी के समय राष्ट्रवाद की धारणा बढ़ी. – राजीव धवन– जमींदारी और दीवानी ज़माने के कायदे देखें तो जमीन के मालिक को ही ग्रांट मिलती थी. – जस्टिस चंद्रचूड़–ग्रांट से आपके मालिकाना हक की पुष्टि कैसे होती है? – राजीव धवन ने फैसले के अनुवाद पर भी उठाए सवाल. पीएन मिश्रा ने अनुवाद को जायज़ और सही ठहराते हुए एक पैरा पढ़ा. धवन ने कहा मिश्रा जी हम आपको सुन चुके हैं. अब कुछ और सुनाने की ज़रूरत नहीं. बाबर के द्वारा मस्जिद के निर्माण के लिए ग्रांट और लगान माफी गांव देने के दस्तावेज हैं. – पीएन मिश्रा ने आपत्ति जताई तो धवन ने कहा कि इनकी दलील मूर्खतापूर्ण है. क्योंकि इनको भूमि कानून की जानकारी नहीं है. मिश्रा ने कहा कि वो भूमि कानून पर दो–दो किताबें लिख चुके हैं और मेरे काबिल दोस्त कह रहे हैं कि मुझे इसकी जानकारी ही नहीं. धवन ने कहा कि आपकी किताबों को सलाम है आप उन पर पीएचडी भी कर लें – धवन ने हिन्दू पक्षकारों की दलीलों का जवाब देते हुए कहा कि यात्रियों की किताबों के अलावा इनके पास टाइटल यानी मालिकाना हक का कोई सबूत नहीं. इनकी विक्रमादित्य मन्दिर की बात मान भी लें तो भी ये रामजन्मभूमि मन्दिर की दलील से मेल नहीं खाता. 1886 में फैज़ाबाद कोर्ट कह चुका था कि वहां हिन्दू मन्दिर का कोई सबूत नहीं मिला. हिंदुओं ने उसे चुनौती भी नहीं दी. – धवन ने ट्रांसलेशन हुए दस्तावेजों पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक–एक दस्तावेज़ के चार चार मतलब हैं. हमारा अनुवाद ही सही है. इन्होंने तो सब कुछ अपने मुताबिक बर्बाद कर दिया है. बाबर की जगह बाबर शाह और वक़्फ़ के भी अलग मतलब बताए हैं. उर्दू के भी हिंदी वर्ज़न लिखे हैं. – राजीव धवन– 6 दिसंबर 1992 को जिसे नष्ट किया गया वो हमारी प्रोपर्टी थी. हम कह चुके हैं कि मुस्लिम वक़्फ़ एक्ट 1860 से ही ये सारा गवर्न होता है. वक़्फ़ सम्पत्ति का मतवल्ली ही रखरखाव का जिम्मेदार होता है. उसे बोर्ड नियुक्त करता है. सनद यानी रजिस्टर में रज्जब अली ने मस्जिद के लिए फ्री लैंड वाले गांव की ज़मीन से 323 रुपए की आमदनी ग्रांट के तौर पर दर्ज की है. – राजीव धवन ने नक्शा फाड़ने को लेकर कहा. मैंने कहा था कि मैं इसे फेंक रहा हूं. चीफ जस्टिस ने कहा कि जो करना है करो, तो मैंने फाड़ दिया. अब वो सोशल मीडिया पर चल रहा है. इस पर सीजेआई रंजन गोगाई ने कहा कि आप सफाई दे सकते हैं कि CJI मे फाड़ने को कहा था. वहीं, जस्टिस नजीर ने कहा कि ये खबर वायरल हो रही है, हमने भी देखी है. – मुस्लिम पक्ष की तरफ से राजीव धवन ने बहस शुरू की. राजीव धवन ने कहा कि धर्मदास ने केवल ये साबित किया कि वो पुजारी है न कि शबैत. हिन्दू महासभा की तरफ से सरदार रविरंजन सिंह, दूसरe विकास सिंह, तीसरा सतीजा और चौथा हरि शंकर जैन चार लोगों के सबूत दिए है. ये साबित नहीं कर पा रहे है कि वे किस महासभा को लेकर बहस कर रहे है. इसका मतलब है महासभा 4 हिस्सों में बंट गया है. क्या दूसरी महासभा इसको सपोर्ट करता है? – पी एन मिश्रा ने कहा मुस्लिम पक्ष के पास कब्जे को लेकर कोई अधिकार नहीं है. लेकिन हिन्दू पक्ष के पास सबूत हैं. जहांगीर के समय यात्री विलियम फिलिमच ने देखा था कि वहां हिन्दू पूजा कर रहे थे. 1858 के गजेटियर में ये पहली बार सामने आया कि मुस्लिम और हिन्दू दोनो वहां प्राथना करते थे. उसके पहले मुस्लिम वहां नमाज़ अदा करते थे इसके सबूत नहीं थे. – साथ ही पीएन मिश्रा ने कहा, हमारी पूजा हमेशा चलती रही है लेकिन मुस्लिम के संबंध में ऐसा कोई सबूत नहीं है. – जस्टिस बोबड़े ने कहा कि आप क्रोनोलॉजी पर बहस न करें, अपनी बातें लिखित में कोर्ट में दाखिल करें. – जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आप इस्लामिक लॉ पर बहस न करें, आप लिमिटेशन पर बहस करें. – पीएन मिश्रा ने कहा कि इस बात के कई सबूत है कि सैकड़ों की संख्या में साधु थे जो मुस्लिम को नमाज के लिए नहीं जाने देते थे. लिमिटेशन को लेकर कोर्ट के कई फैसले हैं. लिमिटेशन का समय सीमा 6 साल होती है. – अखाड़ा के सेवादार के अधिकार को किसी ने भी चुनौती नहीं दी है सिर्फ सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ने वहां पर अपने अधिकार की मांग की. – सुशील जैन: हमारा दावा मन्दिर की भूमि और स्थाई सम्पत्ति पर मालिकाना अधिकार और सेवायत के अधिकार को लेकर है. मुस्लिम पक्षकारों के इस दावे में भी दम नहीं कि 22/23 दिसंबर 1949 की रात बैरागी साधु जबरन इमारत में घुसकर देवता को रख गए. ये मुमकिन ही नहीं कि मुसलमानों के रहते इतनी आसानी से वो घुस गए. जबकि 23 दिसंबर को जुमा था. – निर्मोही अखाड़े की कहानी शिवाजी महाराज से शुरू हुई. जस्टिस बोबड़े ने कहा कि यहां इसका क्या संबन्ध है. – सुशील जैन: हम भले कुछ कमजोर हुए पर शिवाजी महाराज के राज में हम शक्तिशाली थे. कोई सबूत नहीं कि बाबर ने अयोध्या में मस्जिद बनाई. – जस्टिस चंद्रचूड़– आप मस्जिद बनाने को लेकर नहीं डेडिकेशन यानी समर्पण /लोकार्पण को लेकर जवाब दें. मस्जिद का नाम भी जन्मभूमि मस्जिद है. पूरी इमारत को किसी ने डेडिकेट नहीं किया. ये यूजर्स डेडिकेशन है. – विकास सिंह: बाबर उदार लेकिन औरंगजेब कट्टर शासक था. बाबरनामा में ऐसी कोई बात का जिक्र नहीं मिलता. – साल 1860 का अंग्रेज़ी हुकूमत के ग्रांट का बोर्ड ऑफ कंट्रोल का दस्तावेज कोर्ट के सामने रखा जिसमे मुसलमानों ने ग्रांट का ज़िक्र किया है. जबकि 1858 में बोर्ड भंग हो गया था तो 1860 में कैसे दस्तावेज़ जारी हुआ. 1863 में भी ऐसा ही दिखाया गया और उसे मस्जिद पर कब्जे और मालिकाना हक का आधार बताया गया. – विकास सिंह ने बुकानन और स्त्रम थेलर की किताबों के हवाले से कहा कि इनमें रामजन्म स्थान की लोकेशन है. तो धवन बोले कि आपने कोर्ट में मजाक बना रखा है. ऑक्सफोर्ड की किताब के हवाले से भी विकास सिंह ने राम जन्मस्थल की सही जगह बताई – विकास सिंह ने कोर्ट को बुक दी. CJI ने कहा कि वो नवंबर में इस किताब को पढेंगे. विकास सिंह के कहा कि फैसले से पहले इस किताब को पढ़िएगा. राजीव धवन के बार बार टोकने पर विकास सिंह नाराज हो गए. और कहा कि हमारे पास कम समय है उसके बाद भी राजीव धवन बार बार टोक रहे है. …
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